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This level covers the same themes as the previous level, but in greater depth, and includes time for thoughtful practise, which helps an individual perfect a skill. After spending a significant amount of time learning Kathak, this level’s course format will help you become a well-trained Kathak practitioner by sharpening your talents.

Madhyama Poorna 5th Year

  • DURATION

    1 Year

  • Classes/week

    3

About Course

This level covers the same themes as the previous level, but in greater depth, and includes time for thoughtful practise, which helps an individual perfect a skill. After spending a significant amount of time learning Kathak, this level’s course format will help you become a well-trained Kathak practitioner by sharpening your talents.

Eligibility

  • Must be 14 years Old.
  • Must be clear 10th Class or above
  • Can understand as well as speak Hindi Language

Syllabus - Akhil Bhartiya Gandharv Mahavidhyalay Mandal MH India

Theory/शास्त्र
  • 1. कथक नृत्य का मंदिर परम्परा और दरबार परम्परा का संपूर्ण ज्ञान।
  • 2.
    • (अ) बनारस घराने की विशेताए।
    • (ब) जयपुर, लखनऊ घराने की संपूर्ण परम्परा का ज्ञान (वंश परम्परा सहित)
  • 3. भौ संचालन तथा दृष्टि भेंद के प्रकार और उनका प्रयोग (अभिनव दर्पणानुसार)।
  • 4. लास्य तथा ताण्डव की व्याख्या और उनके प्रकार।
  • 5. तीनताल के ठेकों को आधी ½, पौनी ¾ , कुआड़ी 1, ¼ आड़ी, ½ डेढी, बिआड़ी 1, ¾ (पौने दो) लय में लिपिबद्ध करना।
  • 6.
    • (क) अभिनय की स्पष्ट परिभाषा।
    • (ख) आंगिक- अभिनय, वाचिक- अभिनय, आहार्य- अभिनय, सात्विक- अभिनय की व्याख्या तथा प्रयोग।
  • 7. संयुक्त हस्त की निम्नलिखित मुद्राओं की परिभाषा तथा प्रयोग: चक्र, सम्पुट, पास, कीलक , मत्स्य, कूर्म, वराह, गरुड़, नागबन्ध, खटवा, भेरूण्ड।
  • 8. जीवनियां- पं० अच्छन महाराज, पं० शम्भु महाराज, पं० लच्छू महाराज, पं० नारायण प्रसाद, पं० जयलाल।
  • 9. तीनताल, रूपक, तथा एकताल के सभी बोलो की लिपिबद्ध क्रिया।
  • 10. कथक नृत्य के अध्ययन की, शारिरिक, मानसिक और बोद्धिक उपयोगिता।
Practical/क्रियात्मक
  • श्रीशिव वंदना अथवा कृष्ण वंदना
    • 1. तीनताल में विशेषताओं सहित- एक उठान, एक ठाट, एक आमद, एक परमेलू, एक नटवरी तोड़ा, एक फरमाइशी चक्रदार( पहली धा पहली, दूसरी धा दूसरी,तथा तीसरी धा तीसरी सम पर), एक गणेश परन, एक ततकार की लड़ी। (तकिट तकिट धिन)
    • 2. रूपक में – एक ठाठ, एक सादा आमद, चार सादे तोड़े, दो चक्रदार तोड़े, दो परन, दो चक्रदार परन, दो तिहाई एक कवित्त। ततकार- बराबर, दुगुन, चौगुन, तिहाई सहित।
    • 3. 9एकताल में- दो ठाट, एक परन जुड़ी आमद, चार तोड़े, दो चक्कदार तोड़े, दो परन, दो चक्रदार परन, एक कवित्त और तीन तिहाई। ततकार- बराबर, दुगुन, तिगुन, चौगुन, तिहाई सहित।
    • 4. सीखें हुये सभी बोलों की ताल देकर पढन्त करना।
    • 5. गतनिकास में विशेषता: रूखसार, छेड़छाड़, आंचल आदि।
    • 6. गतभाव में कालिया दमन।
    • 7. ‘होरी’ पद पर भाव प्रस्तुति।
  • तीनताल
    • 1 उठान
    • 2 ठाट
    • 3 आमद परन जुड़ी
    • 4 परमेलु
    • 5 फरमाइशी चक्रदार
    • 6 गणेश परन
    • 7 कवित्त
    • 8 गिनती की तिहाई
    • 9 तत्कार की लड़ी (तकिट तकिट धिन)

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